नवसृजित राजस्व गांव में सम्पर्क मार्ग बनाने की डीएफओ ने दी अनुमति, ग्राम वासियों में खुशी की लहर
गतवर्ष जनपद बहराइच के मोतीपुर तहसील के अंतर्गत कतरनियाघाट वन्यजीव अभयारण्य में बसे भवानीपुर बिछिया टेडिया ढकिया गोकुलपुर आदि गांवों को राजस्व ग्रामों में परिवर्तित किया गया था लेकिन विकास कार्यों को पंख नहीं लग सके थे। वनग्राम होने के नाते लोग पगडंडियों पर चलने को मजबूर थे। पक्की सड़कों की बात तो दूर, यहां कच्ची सड़क भी मौजूद नहीं थी। जिन ग्राम पंचायतों से इन गांवों को सम्बद्ध कर के रखा गया था उनकी भी हिम्मत इन गांवों में विकास कार्य कराने की नहीं हो रही थी।इन गांवों के वन निवासियों के अधिकारों के लिए संघर्षरत जनसंगठन वन अधिकार आंदोलन की लगातार मांग चल रही थी। श्रमदान से भी यदि किसी मार्ग के मरम्मत का कार्य शुरू होता था तो वनरक्षक मौके पर पहुंचकर काम रोक देता था जिससे वन विभाग और वन निवासियों में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती थी।स्थानीय ग्रामीणों द्वारा निरंतर मांग उठाए जाने के बाद ग्राम पंचायत चहलवा के द्वारा नवसृजित राजस्व ग्राम टेडिया ढकिया गांव में 1 दर्जन से अधिक संपर्क मार्ग बनाए जाने से संबंधित पत्र खंड विकास अधिकारी मिहिन पुरवा को भेजा गया जिस पर कार्यवाही करते हुए खंड विकास अधिकारी श्री अजीत कुमार सिंह ने पत्र लिखकर प्रभागीय वन अधिकारी कतर्नियाघाट श्री आकाशदीप बधावन से सहमति मांगी जिस पर डीएफओ कतर्नियाघाट ने 24 घंटे के अंदर कार्यवाही करते हुए संपर्क मार्गों के निर्माण की अनुमति प्रदान कर दी। उन्होंने खंड विकास अधिकारी को प्रेषित पत्र में लिखा है कि आपके उपरोक्त सदर्भित के कम में ग्राम पंचायत चहलवा के नवसृजित ग्राम टेडिया एवं ढकिया में प्रस्तावित कार्यों हेतु अनुसूचित जनजाति एंव अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 की धारा 3(2)(ठ) के तहत सरकार द्वारा प्रबंधित सुविधाओं के अन्तर्गत भूमि विकास कार्य हेतु वन भूमि को गैर वानिकी उद्देश्य हेतु निम्नलिखित शर्तों के अधीन पूर्व अनुमति प्रदान की जाती है कि सड़क निर्माण में वृक्षों की कटाई नहीं की जायेगी । वन क्षेत्र के सीमा के भीतर पत्थरों की तोड़ाई नहीं की जायेगी। वन क्षेत्र में श्रमिक शिविर नहीं किया जायेगा। नये वन क्षेत्र खंडित नहीं किया जायें ।केवल आवेदित वन भूमि तक ही कार्य सीमित रखा जायेगा। सूर्यास्त के पश्चात् निर्माण कार्य नहीं किया जायेगा। इस कार्य के दौरान वनों में अग्नि का प्रकोप न हो।
कार्य प्रारम्म करने के पूर्व इसकी लिखित सूचना संबंधित क्षेत्रीय वन अधिकारी को दी जाये।
यह अनुमति वर्तमान 3.75मी0 की चौड़ाई में ही पूर्ण रूप से सीमित रहने पर लागू होगी। इस हेतु 3.75मी0 से अधिक मिट्टी खोदाई आदि कार्य का कार्य किसी भी परिस्थिति में नहीं किया जायेगा। यह वन भूमि विपथन मात्र आवेदित सड़क निर्माण के उद्देश्य के लिए अनुमन्य होगा तथा इसका उपयोग किसी अन्य उद्देश्य हेतु नहीं किया जायेगा तथा इस प्रकार विपथित भूमि, जिस उददेय से इसका विपथन किया गया है, उस उद्देश्य हेतु यूजर एसेन्सी को अनुमति प्राप्त होने की तिथि से एक वर्ष के भीतर दर शुरू नहीं किये जाने की स्थिति में वन विभाग पुनः उस भूमि को विनियोजित करेगा।
उपर्युक्त शर्तों का दृढता से अनुपालन सुनिश्चित करते हुए उक्त पथ दल विकास कार्य कराया जाये। उक्त शर्तों के उल्लंघन की स्थिति में प्रयोक्ता एजेन्सी जिम्मेदार माने जायेंगे एवं तदनुसार कार्यवाही करना बाध्यता होगी।
सामाजिक कार्यकर्ता जंग हिन्दुस्तानी ने कहा कि डीएफओ कतरनियाघाट श्री आकाशदीप बधावन द्वारा नवसृजित राजस्व ग्रामों के सर्वांगीण विकास के लिए जो कदम उठाए गए हैं वह प्रशंसनीय हैं। विकास के साथ पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
चहलवा ग्राम पंचायत के प्रधान प्रतिनिधि प्रीतम निषाद ने डीएफओ आकाशदीप बधावन द्वारा किए गए सहयोग पर हर्ष व्यक्त किया गया और कहा कि निर्माण कार्य कराते समय सभी मानदंडों को पूरा किया जाएगा।
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