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वन अधिकार आंदोलन समिति की मासिक बैठक जंग हिंदुस्तानी की अध्यक्षता में हुई सम्पन्न

सोनू खान, फरीद अंसारी: "लोकतंत्र की मजबूती के लिए संविधान की जानकारी परम आवश्यक है। जो भी सरकारी योजनाएं और सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं वह किसी व्यक्ति या संस्था के द्वारा नहीं, अपितु संविधान की देन है। हमें इस मिथक से भी सचेत रहना चाहिए कि हमारे संविधान को किसी एक व्यक्ति ने बनाया है। संविधान को देश भर के विभिन्न क्षेत्रों और वर्गों से चयनित संविधान सभा के 299 सदस्यों ने 2 वर्ष 11 माह और 18 दिन की चर्चा के बाद बनाया। यदि हम किसी एक व्यक्ति का महिमा मंडन करते हैं तो बाकी 298 सदस्यों का नाम क्यों नहीं लेते?यह कुछ संस्थाओं और राजनीतिक दलों का फैलाया हुआ भ्रम है। हमें सच जानने के लिए संविधान को पढ़ना चाहिए।"
यह उदगार दिनांक 25 अक्टूबर 2023 को गिरिजापुरी, बहराइच में"संवैधानिक साक्षरता कार्यशाला" में सामाजिक कार्यकर्ता जंग हिंदुस्तानी ने व्यक्त किए। कार्यशाला का संचालन एवं अध्यक्षता वन अधिकार आंदोलन, बहराइच के अध्यक्ष शंकर सिंह ने की।
कार्यशाला में  जनपद बहराइच के मिहिन पुरवा विकासखंड के वन भूमि पर बसे विभिन्न गांवों से आए हुए वन अधिकार आंदोलन के प्रतिनिधि कार्यकर्ताओं ने सहभागिता की।
बैठक की शुरुआत संविधान की प्रस्तावना का पाठ करके किया गया।
संविधान पर बोलते हुए टेडिया निवासी सुरेंद्र सिंह ने कहा कि आम आदमी की संविधान के प्रति जानकारी न होने के कारण उनके ऊपर अन्याय हो रहा है।
 हल्दी प्लाट ग्राम निवासी नींबू लाल ने कहा कि संविधान के तहत बनाए गए वन अधिकार कानून 2006 से हम सभी को बड़ी आशाएं हैं।हम लोग सैकड़ों वर्षों से जंगल में रहते चले आए हैं। हमारे पूर्वजों ने एक वन टांगिया मजदूर के रुप में  सैकड़ों वर्षों तक जंगल कई सेवा की है जिसके परिणाम स्वरूप हमें खेती और निवास के लिए वन भूमि प्राप्त हुई थी किंतु वन अधिकार कानून 2006 लागू होने के बावजूद वन विभाग के कुछ अधिकारी आर्थिक लालच में हमारे खेती के कार्य को रोक रहे है और हम लोगों को गांव छोड़कर चले जाने की धमकी दे रहे है। उन्होंने कहा कि जब तक संवैधानिक मूल्यों के तहत बनाए गए वन अधिकार कानून के तहत मान्यता और सत्यापन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती है तब तक किसी को हटाने की धमकी देना वनाधिकार कानून का उल्लंघन है ।
महबूबनगर निवासी रामचंद्र ने कहा कि हमारे गांव के मामले में संवैधानिक मूल्य न्याय, स्वतंत्रता और समता का हनन हो रहा है।हमारे गांव के राजस्व ग्राम में परिवर्तन किए जाने की फाइल जिला स्तर से प्रस्तावित होकर राजस्व और वन अनुभाग उत्तर प्रदेश में पिछले 4 साल से लंबित है। एक साजिश के तहत हमारी पत्रावली को मुख्यमंत्री जी के समक्ष राजस्व ग्राम करने के लिए प्रस्तुत नहीं किया जा रहा है और संबंधित विभागों के द्वारा दबाया जा रहा है।
भवानीपुर निवासी राम मूरत यादव ने कहा कि गांव में सरकार सामुदायिक सुविधाओं पर ध्यान नहीं दे रही है।अधिकतर इंडिया मार्का हैंडपंप खराब चल रहे हैं जिससे पेयजल का संकट उत्पन्न हो गया है। 
कार्यशाला में सहभागिता कर रहे लोगों को संबोधित करते हुए चहलवा ग्राम पंचायत के प्रधान प्रतिनिधि श्री प्रीतम निषाद ने कहा कि नवसृजित राजस्व ग्रामों में विकास के सभी कार्यक्रम संचालित किए जाने के लिए वह प्रयासरत हैं। कई सम्पर्क मार्गों का निर्माण कराया जा चुका है।
समाजसेवी संवैधानिक मूल्यों की अवहेलना करने वाले राजेन्द्र प्रधान ने कहा कि निचले स्तर के कुछ कर्मचारी माननीय मुख्यमंत्री जी की लोकप्रिय सरकार की छवि को खराब कर रहे हैं । वनाधिकार आंदोलन के नेता फगुनी प्रसाद ने कहा कि वन ग्रामों की समस्याओं से माननीय मुख्यमंत्री जी सहित सभी उच्च अधिकारियों को अवगत कराया जाना चाहिए जिससे प्रत्येक वन निवासी परिवार को वन अधिकार कानून 2006 का लाभ मिल सके। उपस्थित लोगों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया कि यदि प्रशासन वनग्रामों की समस्याओं पर गंभीरता पूर्वक ध्यान नहीं देता है तो आगामी माह में अनिश्चितकालीन धरना दिया जाएगा। इस अवसर पर दावा फार्मो पर एक गैलरी वाक का आयोजन किया गया जिसमें लोगों ने दावा पत्रावलियों का निरीक्षण किया।
संवैधानिक साक्षरता कार्यशाला में भवानीपुर, बिछिया, गोकुलपुर,तुलसीपुरवा, सुकड़ी पुरवा, श्रीराम पुरवा, हल्दी प्लाट, राम पुर रेतिया और टेड़िया आदि गांव के लोग मौजूद रहे।

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